अंतरिक्ष में बड़े लक्ष्य साधता भारत, इसरो के अथक समर्पण का प्रमाण है मिशन गगनयान

 JAGRAN NEWS /Sun, 03 Mar 2024)

गगनयान मिशन इसरो के वर्षों के अथक समर्पण का प्रमाण है। इसका लक्ष्य न केवल अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना है बल्कि मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमताओं में भारत के कौशल को प्रदर्शित करना भी है। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा में एक मील का पत्थर होगा। पृथ्वी की परिक्रमा करने वाला आर्बिटल माड्यूल दो प्रमुख हिस्सों से मिलकर बना है-क्रू माड्यूल और सर्विस माड्यूल।


गगनयान मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वर्षों के अथक समर्पण का प्रमाण है। इसका लक्ष्य न केवल अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना है, बल्कि मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमताओं में भारत के कौशल को प्रदर्शित करना भी है। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा में एक मील का पत्थर होगा। इस अभियान का उद्देश्य अंतरिक्ष में चार अंतरिक्ष यात्रियों के दल को 400 किलोमीटर की कक्षा में तीन दिन के लिए भेजना और उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाना है। इसके लिए चुने गए चार अंतरिक्ष यात्रियों-ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, अजीत कृष्णन, अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला ने रूस और भारत में पांच साल के कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रम से गुजर कर आने वाली चुनौतियों के लिए सावधानीपूर्वक तैयारी की है। रोबोटिक और मानव अंतरिक्ष अभियानों के बीच के अंतर को पहचानना महत्वपूर्ण है। जब मानव जीवन दांव पर होता है तो त्रुटि की गुंजाइश शून्य हो जाती है। इसके लिए सावधानीपूर्वक योजना, अत्याधुनिक तकनीक और सुरक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। इसे स्वीकार करते हुए इसरो ने गगनयान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। विशेष रूप से इस मिशन के लिए डिजाइन किया गया एलवीएम3 लांच वाहन मानव अंतरिक्ष उड़ान को समायोजित करने के लिए सुधारों से गुजरा है। इसके अतिरिक्त एलवीएम3 के क्रायोजेनिक चरण को मानव अंतरिक्ष उड़ान के उद्देश्य से विकसित किया गया है। अब इसको एचएलवीएम3 का नाम दिया गया है। एचएलवीएम3 में चालक दल निष्कासन प्रणाली शामिल है। यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी आपात स्थिति में चाहे वह प्रक्षेपण स्थल पर हो या उड़ान चरण के दौरान चालक दल माड्यूल को चालक दल के साथ सुरक्षित दूरी पर ले जाया जा सके।

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